Saturday, 25 November 2017

Friday, 5 May 2017

Story Of Diggi Kalyan Ji In Hindi


राजधानी से सटे टोंक जिले में स्थित डिग्गी कल्याणजी की कथा बड़ी रोचक है। यह कहानी है एक राजा, एक भगवान और एक अप्सरा की। टोंक जिले के मालपुरा के समीप डिग्गीधाम में श्री कल्याणजी का मंदिर प्रमुख तीर्थ स्थानों में से एक है। 



जयपुर से 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डिग्गी नगर में इस मंदिर का निर्माण मेवाड़ के तत्कालीन राणा संग्राम सिंह के शासन काल में संवत् 1584 (सन् 1527) के ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को तिवाड़ी ब्राह्मणों द्वारा करवाया बताया गया ​है। 



यह है पौराणिक कथा 
स्वर्ग में राजा इंद्र के दरबार में उर्वशी नामक अप्सरा थी। वह  इंद्र के मनोरंजन के लिए नृत्य कर रही थी। इसी दौरान उसे हंसी आ गर्इ। इस हरकत से इंद्र  को अच्छा नही लगा और उसका स्वर्ग से निष्कासन कर दिया, जिससे उसे 12 वर्ष के लिए मृत्युलोक में आना पड़ा । यहां उसने संतों की सेवा की और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर वापस स्वर्ग में जाने की तैयारी करने लगी। 




इसी दौरान राजा डिगवा ने उर्वशी को उपवन में अठखेलियां करते हुए देखा व उसके रूप से मोहित हो गया। राजा ने उसे अपनी रानी बनने का प्रस्ताव रखा और कहा कि वह उसे महल में ठाट से रखेगा। 



उर्वशी ने विनयपूर्वक राजा के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और बताया, वह स्वर्ग के राजा इंद्र की अप्सरा है। इस पर राजा डिगवा ने इन्द्र को युद्ध की चुनौती दे दी व युद्ध प्रारम्भ हो गया पर हार-जीत किसी की नहीं हो रही थी।



कपट से इंद्र ने राजा डिगवा को पराजित कर दिया। उर्वसी ने राजा को कुष्ट हो जाने का श्राप दिया । राजा डिगवा श्रीकल्याणजी के क्षेत्र में भगवान विष्णु की आराधना करने लगे। भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने आकाशवाणी की कि जाओ, नदी किनारे तुम्हें भगवान विष्णु की मूर्ति मिलेगी। 



राजा का रथ उस युद्धस्थल पर जाकर रुक गया, जहां संग्राम हुआ था। इसी स्थान पर राजा डिग्व ने श्री कल्याणराय जी के भव्य मंदिर का निर्माण करवाकर विधिवत् प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करवा दी। यही स्थान आज का डिग्गीपुरी है तथा यह पावन प्रतिमा कल्याणजी के नाम से आज श्रद्धा केंद्र एवं तीर्थ स्थल बनी हुई है। 

New Pictures Of Diggi Kalyan Ji

Diggi Kalyan Ji Photos